CBSE 10th Exam Twice a Year: 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होने का एक्सपर्ट्स ने बताए फायदे और नुकसान 

CBSE 10th Exam Twice a Year: हाल ही में एक विषय चर्चा का केंद्र बना हुआ हैं। जिसमें कहा जा रहा है की केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की तरफ से अगले साल 2026 से 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जायेगी।

Join whatsapp group Join Now
Join Telegram Group Join Now

हालंकि इसी बीच एक्सपर्ट ने अपनी-अपनी राय रखी हैं और कहा हैं की केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की तरफ से 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए और छात्रों के प्रोजेक्ट और पोर्टफोलियो के जरिये ही उनके मूल्यांकान निर्धारित किये जाने चाहिए। तो आये जानते हैं आखिर एक्सपर्ट ने 10वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर क्या कहा हैं।

CBSE 10th Board Exams Twice: हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की तरफ से बोर्ड की 10वीं कक्षा की परीक्षा को साल में 2 करवाने पर विचार किया जा रहा हैं, जिसके लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की तरफ से ड्राफ्ट स्कीम जारी किया गया हैं।

CBSE 10th Exam Twice a Year: 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होने का एक्सपर्ट्स ने बताए फायदे और नुकसान 
CBSE 10th Exam Twice a Year

हालंकि इस ड्राफ्ट स्कीम के तहत 10वीं कक्षा के छात्रों को दोनों परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा। लेकिन इसी बीच एक्सपर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के द्वारा जारी किये गए ड्राफ्ट स्कीम को लेकर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं और ड्राफ्ट स्कीक के फायदे और नुकसान के बारे में बताया गया हैं।

क्या एक के बाद एक लगातार परीक्षाएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मूल्यों के विरुद्ध हैं?

कुछ एक्सपर्ट का कहना हैं की साल में एक बार केवल 3 घंटे की परीक्षा से ही परीक्षा देने वाले छात्रों का मूल्यांकन करना सही नहीं हैं। इससे परीक्षा देने वाले छात्रों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं।

क्यूंकि अक्सर देखा गया हैं की कहीं बार परीक्षा के दिन छात्रों की तबियत ख़राब हो जाती हैं या फिर छात्र किसी कारणवश परीक्षा के दिन परीक्षा केंद्र में देरी से पहुंचते हैं। जिसकी वजह से छात्रों को परीक्षा केंद्र में आने की अनुमति नहीं दी जाती हैं। जिसकी वजह से परीक्षा देने वाले छात्रों को शारीरिक और मानसिक तनाव सहना पड़ता हैं। जिससे छात्रों के परिणाम में इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं।

10वीं की बोर्ड परीक्षा होनी चाहिए या नहीं?

DLF फाउंडेशन स्कूल के अध्यक्ष ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के द्वारा ड्राफ्ट स्कीम को लेकर कहा हैं की 10वीं कक्षा के छात्रों की बोर्ड की परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए। सिर्फ 12वीं कक्षा के छात्रों की स्कूलों लिविंग परीक्षा होनी चाहिए। जिससे आप छात्रों के पोर्टफोलियो और उनके प्रोजेक्ट से ही उनके मूल्यांकान को निर्धारित कर सकते हैं।

इसके अलावा DLF फाउंडेशन स्कूल के अध्यक्ष ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के द्वारा ड्राफ्ट स्कीम को लेकर कहा हैं की ड्राफ्ट स्कीम और और सरल एवं आसान बनाया जा सकता हैं, जिससे छात्र पहले से बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।

टीचर्स पर होगा दो बार परीक्षाओं का दबाव, छुट्टियों पर पड़ेगा असर 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के द्वारा ड्राफ्ट स्कीम के तहत साल में दो बार 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा करवाने से लेकर शिक्षकों में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता हैं। लगातार दो बार बोर्ड की परीक्षा से शिक्षकों को समय पर अवकाश नहीं मिल सकेगा और उनपर इसका असर देखने को मिलेगा। 

इसके अलावा परीक्षा के पैटर्न में बदलाव के कारण भी शिक्षकों को समय रहते अवकाश नहीं मिल पायेगा और उन्हें शारीरिक एवं मानसिक तनाव मिलेगा।

Join whatsapp group Join Now
Join Telegram Group Join Now
अस्वीकरण (Disclaimer) :- Sarkarinaukaridekhe.com विभिन्न स्रोतों के आधार पर सरकारी नौकरियों से जुड़ी जानकारी प्रदान करता है, जिसमें संभावित और आगामी भर्तियों की जानकारी भी शामिल हो सकती है। यह जानकारी केवल अनुमानित होती है, जिसकी पुष्टि संबंधित आधिकारिक वेबसाइट से करना आवश्यक है। हम किसी भी भर्ती प्रक्रिया, परीक्षा, या परिणाम के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। उपयोगकर्ता किसी भी आवेदन या निर्णय से पहले आधिकारिक अधिसूचना को ध्यानपूर्वक पढ़ें और स्वयं सत्यापन करें। इस वेबसाइट का उपयोग करने का अर्थ है कि आप इस अस्वीकरण को स्वीकार करते हैं।

Leave a comment